Sunday, 27 September 2015

On the Jain festival of Kshamavaani to all Jain & Non-Jain brethern

On the auspicious day of Kshamavaani:


🙏🙏 मिच्छामी -दुक्कडम 🙏🙏
चलते चलते रुक गए हम
ना जाने क्या भूल गए हम
हसते हसते कितनो को सताया हमने.....
अनजाने में कितनो को रुलाया हमने.....
कडवे शब्दों से कितनो का दिल दुखाया होगा हमने.....
फिर हसकर गर्व जताया होगा हमने.....
दिल शायद नादान था.....
पाप से भी अनजान था.....
आज हर छोटी गलती से तौबा करना है हमें.....
ईगो छोड़ कर पर्युषण के पावन पर्व पर.....
क्षमा मांगते है हाथ जोड़कर
🙏🙏 दिल से मिच्छामी दुक्क्डम 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
         
    🙏🙏 क्षमापना 🙏🙏

 मन,वचन ऒर काया से आपको
      👏मिच्छामी दुक्क्डम👏

🌺🌾🌺🌾🌺🌾🌺🌾🌺
🙏🙏 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

From: Rajinder Pershad Jindal, Delhi, India


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